गढ़वाली डिक्शनरी

गढ़वाली हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

गढ़वाली शब्दकोश का महत्व

पुराणों में जिस ‘केदारखंड’ का उल्लेख मिलता है, वही आज का गढ़वाल क्षेत्र है। 888 ईसवी से पूर्व गढ़वाल 52 छोटे-छोटे गढ़ों में विभाजित था। चाँदपुर गढ़ के नरेश कनकपाल और उनके वंशज समय-समय पर इन गढ़ों को जीतकर अपने राज्य का विस्तार करते गए। 1358 ईसवी में महाराजा अजयपाल ने समस्त गढ़ों को एकजुट करके ‘गढ़वाल साम्राज्य’ की नींव डाली। गढ़ नरेशों की राजाज्ञाओं और ताम्रपत्रों से स्पष्ट होता है कि ‘गढ़वाली’ तब राजकाज की भाषा थी। आज यह उत्तराखंड राज्य के पौड़ी, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, देहरादून और हरिद्वार जिलों में बोली जाती है। इसके अलावा कुमाऊँ मंडल के रामनगर क्षेत्र और दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में भी लाखों लोग गढ़वाली बोलते हैं। गढ़वाल में अलग-अलग कालखंडों में दक्षिण भारत और देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आए और यहीं बस गए। यही वजह है कि गढ़वाली में मराठी, गुजराती, बांग्ला, राजस्थानी, पंजाबी, फ़ारसी और द्रविड़ भाषाओं के शब्द भी देखने को मिल जाते हैं। जानकारों के अनुसार गढ़वाली का प्राचीनतम स्वरूप वैदिक गढ़वाली है। इस भाषा का उद्भव ‘खस-प्राकृत’ से माना जाता है, जबकि एक अन्य मतानुसार इसका उद्भव ‘शौरसेनी अपभ्रंश’ से हुआ।

देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली गढ़वाली का शब्द भंडार बहुत समृद्ध है। ब्रिटिशकाल के प्रसिद्ध भाषाविद् ग्रियर्सन ने गढ़वाली को श्रीनगरी, नागपुरिया, बधाणी, सलाणी, टिरियाली, राठी, दसौल्या, मांझकुमैया आदि रूपों में विभक्त किया। कुछ साहित्यकारों ने मार्च्छा और तोल्छा को भी गढ़वाली का ही रूप माना है। श्रीनगरी को आदर्श गढ़वाली कहा जाता है। गढ़वाली भाषा का साहित्य बहुत समृद्ध है। इसमें डॉ. गोविंद चातक, तारादत्त गैरोला, भजन सिंह ‘सिंह’, चंद्रकुंवर बर्त्वाल, हरिदत्त भट्ट ‘शैलेश’ तथा कई अन्य साहित्यकारों, गीतकारों और लोकगायकों का बहुत बड़ा योगदान है। पीढ़ी दर पीढ़ी देवी-देवताओं के जागर लगाने वाले ढोल सागर के जानकारों की इस भाषा के संरक्षण में अहम भूमिका है। वर्तमान में गढ़वाली के विकास में तमाम साहित्यकार सक्रिय हैं। गीत व कविताओं की रचना के साथ ही नाटक और उपन्यास लिखे जा रहे हैं। इस भाषा के शब्दकोश प्रकाशित हो चुके हैं। इसके संरक्षण के लिए शिक्षण शिविर एवं सेमिनार भी आयोजित हो रहे हैं। ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ ने भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन की अपनी योजना में ‘गढ़वाली’ की शब्द-संपदा को भी शामिल किया है। यह योजना ‘गढ़वाली शब्दकोश’ की सुविधा भी उपलब्ध करा रही है।

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