कन्नौजी डिक्शनरी
कन्नौजी हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश
कन्नौजी शब्दकोश का महत्व
उत्तर प्रदेश का 'कन्नौज' राजनीतिक
एवं भौगोलिक दृष्टि से भले ही आज एक जिला मात्र है, लेकिन
दुनिया में इसकी पहचान एक प्राचीन समृद्ध और सांस्कृतिक नगरी
के तौर पर रही है। इतिहास और पुरातत्व की दृष्टि से इसका विशेष महत्व है।
रामयाण और महाभारत काल के बाद राजा-महाराजाओं के समय में भी कन्नौज का इतना अधिक
महत्व था कि प्रसिद्ध चीनी यात्री फाह्यान और ह्वेनत्सांग ने भी यहाँ पहुँचना
ज़रूरी समझा। 'कन्नौज' शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत के 'कान्यकुब्ज' से हुई है
और इस तरह कन्नौज और इसके आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषा को कन्नौजी
या कनउजी कहते हैं। उत्तर प्रदेश में यह कन्नौज, इटावा, फ़र्रुख़ाबाद, शाहजहाँपुर, कानपुर, हरदोई, पीलीभीत आदि
जिलों में बोली जाती है। इसके अलावा मैनपुरी, बरेली, एटा, बदायूँ तथा
सीतापुर जिलों के कई क्षेत्रों में भी यह संवाद की भाषा है। मध्य कन्नौजी, तिरहारी, पछरुआ, बंग्रही, शहजहाँपुरिया, पीलीभीती, बदउआँ, अंतर्वेदी
आदि इसकी बोलियाँ हैं।
जानकारों के अनुसार कन्नौजी का विकास
पांचाली प्राकृत से हुआ इसीलिए इसे ‘पांचाली’ भी कहा जाता
है। कन्नौजी पर बुंदेलखंडी, अवधी और ब्रजभाषा का प्रभाव भी दिखाई
देता है। अंतर यह है कि कन्नौजी के स्वरों में अनुनासिकीकरण की प्रवृत्ति देखने को
मिलती है। ‘ऐ’ और ‘औ’ स्वर
संयुक्त स्वर ‘अइ’ और ‘अउ’ के रूप में
प्रयुक्त होते हैं। स्त्रीलिंग प्रत्यय- ई, न, नी, इया हैं। इस
भाषा में ‘य’ के स्थान पर ‘ज’ का प्रयोग
होता है, जैसे कि यमुना को जमुना कहते हैं। इसी तरह ‘व’ के स्थान पर
‘ब’ का प्रयोग होता है, जैसे कि
वकील के लिए यहाँ बकील बोला जाता है। और भी इस तरह के शब्द हैं।
लोक कवियों और कलाकारों के लिए कन्नौजी
अभिव्यक्ति का अच्छा माध्यम रही है। जनकवि घाघ की कहावतों और आल्हा-ऊदल की शौर्य
गाथाओं से कन्नौजी भाषा के अद्भुत सौंदर्य को समझा जा सकता है। स्नेह, सम्मान और
शौर्य इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं। इस भाषा की कथाएँ, गीत और नाटक
काफ़ी पसंद किए जाते हैं। आल्हा, नौटंकी, फाग, चिमटा और
रामलीला आदि लोक कलाओं पर कन्नौजी का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
वसंतोत्सव, होली,रासलीला और नाटक में भी कन्नौजी का
दबदबा बराबर बना हुआ है। इस भाषा में कई विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हुए हैं।
इसका लोक साहित्य भी उपलब्ध है। ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ ने भाषाओं
के संरक्षण और संवर्द्धन की अपनी योजना में इस प्राचीन भाषा की शब्द-संपदा को
शामिल किया है। इस योजना के तहत लोगों को ‘कन्नौजी
शब्दकोश’ की सुविधा भी प्राप्त हो रही है।
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