मालवी डिक्शनरी

मालवी हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

मालवी शब्दकोश का महत्व

मध्यप्रदेश और राजस्थान के कई जिलों में फैला हुआ मालवा क्षेत्र इतिहास, संस्कृति, साहित्य और कला की दृष्टि से बहुत संपन्न है। यहाँ विशिष्ट कलाएँ हर किसी का मन मोह लेती हैं। सातवीं सदी के प्रसिद्ध चीनी यात्री व्हेनसांग को यहाँ के लोक जीवन ने बहुत आकर्षित किया था। इसी मालवा क्षेत्र की भाषा मालवी कही जाती है। यह भाषा मध्य प्रदेश के नीमच, मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, देवास, आगर, शाजापुर, सीहोर, राजगढ़, भोपाल, रायसेन, विदिशा, धार, इंदौर, हरदा, झाबुआ, अलीराजपुर और गुना तथा राजस्थान के झालावाड़, प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा एवं चित्तौड़गढ़ आदि जिलों में बोली जाती है। आदर्श मालवी, सोंधवाड़ी, रजवाड़ी, दशोरी या दशपुरी, उमठवाड़ी, भीली तथा भोयरी को मालवी की उपबोलियाँ कहा जाता है। कुछ जगहों पर मालवी की सहोदरा निमाड़ी भी बोली जाती है।

मालवी भाषा के साहित्य शिल्पियों ने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी विशेष पहचान बनाई है। प्रोफेसर शैलेंद्रकुमार शर्मा का मालवी भाषा और साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान है। मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी, भोपाल द्वारा प्रकाशित उनकी महत्वपूर्ण पुस्तक में मालवी भाषा और साहित्य के तमाम पहलुओं का विवेचन किया गया है। मालवी भाषा और साहित्य पर और भी कई लोगों ने काम किया है या कर रहे हैं, लेकिन समस्या यह है कि इस आधुनिक दौर में मालवी और उसकी उपबोलियों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में इसके संरक्षण और विकास के प्रयास हो रहे हैं। हिन्दवी डिक्शनरीने भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन की अपनी महत्वपूर्ण योजना में मालवीकी शब्द-संपदा को शामिल किया है। इससे लोग मालवी शब्दकोशकी सुविधा भी हासिल कर रहे हैं।

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