apras meaning in braj
अपरस के ब्रज अर्थ
विशेषण
- जिसे किसी ने छुआ न हो
- अस्पृश्य , स्नान करने के पश्चात् बिना किसी का स्पर्श किये रहना
-
रसोई का शुद्ध नियमाचार ; अनासक्त
उदाहरण
. अपरस रहत सनेह तगा तें नाहिन मन अनुरागी ।
विशेषण, स्त्रीलिंग
- नीरस
- रसहीन
- हथेली व तलुए में होने वाला चर्म रोग
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