बिरत

बिरत के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

बिरत के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • व्रत, उपवास, संकल्प, क्षत्रियों के यहाँ विवाह की एक रस्म जिसमें कन्या पक्ष का पण्डित और नाई वर-पक्ष के यहाँ तिलक चढ़ाने जाता है वो वर-पक्ष वाले एक थाली में रुपया भरकर नाई के सामने रखकर उसमें से रु पये उठाने को कहते हैं नाई जितने रुपये उठाता है उतने हजार की शादी का संकेत होता है, यह रुपया उठाकर शादी की रूपरेखा देने की क्रिया बिरत उठाना कहलाती है, (श.यु.)तीरथ-बिरत-तीर्थाटन आदि पुण्य कार्य

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हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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