panchtanmaatra meaning in hindi
पंचतन्मात्र के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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सांख्य में शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध ये पाँच तत्त्व, जिनसे पंच महाभूतों की उत्पत्ति होती है जो अतींद्रिय माने गए हैं
विशेष
. तन्मात्र ये इस कारण कहलाते हैं कि ये विशुद्ध रूप में रहते हैं अर्थात् एक में किसी दूसरे का मेल नहीं रहता। स्थूल भूत विशुद्ध नहीं होते। एक भूत में दूसरे भूत भी सूक्ष्म रूप में मिले रहते हैं। - देखिए : 'तन्मात्र'
पंचतन्मात्र के तुकांत शब्द
संपूर्ण देखिए
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