syamantak meaning in hindi
स्यमंतक के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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पुराणोक्त एक प्रसिद्ध मणि जिसकी चोरी का झूठा आरोप श्रीकृष्ण पर लगा था
विशेष
. भागवत पुराण में इस मणि की कथा इस प्रकार है—यह मणि सत्राजित् नामक यादव ने अपनी तरस्या से सूर्यनारायण को प्रसन्न कर प्राप्त की थी। यह सूर्य के समान प्रभाविशिष्ट थी। यह प्रति दिन आठ भार (1 भार=20 तुला=2000 पल) सोना देती थी। जिस स्थान या नगर में यह रहती थी, वहाँ रोग, शोक, दुःख, दारिद्रय आदि का नाम न रहता था। यादवों के कहने से श्रीकृष्ण ने राजा उग्रसेन के लिए यह मणि माँगी; पर सत्राजित् ने नहीं दी। सत्राजित् से उसके भाई प्रसेन ने यह मणि ले ली और कंठ में धारण कर आखेट करने गया। वहाँ एक सिंह ने उसे मार डाला। मणि लेकर सिंह एक गुफा में घुसा। गुफा में रीछों का राजा जांबवंत रहता था। मणि के प्रकाश से गुफा को प्रकाशमान् देखकर जांबवंत आ पहुँचा और उसने सिंह को मारकर मणि हस्तगत की। इधर श्रीकृष्ण पर यह कलंक लगा कि उन्होंने प्रसेन को मारकर मणि ले ली है। यह सुनकर खोजते हुए श्री कृष्ण जांबवंत की गुफा में पहुँचे और उसे परास्त कर उन्होंने मणि का उद्धार किया। जांबवंत ने श्रीकृष्ण को साक्षात् भगवान् जानकर अपनी कन्या जांबवंती उनको अर्पण की। श्रीकृष्ण ने लौटकर वही मणि सत्राजित् को दे दी।
स्यमंतक के तुकांत शब्द
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